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गुस्सेल बन्दर / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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हाथी भाई चढ़े पेड़ पर,
ऊपर मजे उडाये।
पके हुये थे आम बहुत से,
मजे-मजे से खाये।
बन्दर ने गुस्से के मारे,
जड़ से पेड़ उखाड़ा।
डर के मारे पेड़ सहित ही,
हाथी गिरा बिचारा