गूँगा/ विष्णु खरे
वह एक छोटा कौआ है जो अभी उड़ना सीख नहीं पाया है
घिरा हुआ और घबराया हुआ
उसके काले पंख कुछ कम काले हैं मटमैला शरीर कुछ ज़्यादा उजला
वह लँगड़ाता हुआ फुदक रहा है
और चीखने के लिए जब चोंच खोलता है तो वह लाल है अन्दर से
लड़कों ने उस पर पत्थर फेंके हैं
और वह फड़फड़ा कर यहाँ वहाँ असफलता से घुसा है
ऊपर मण्डराते हुए कौओं का और नीचे पिछवाड़े बँधे हुए कुत्तों का
शोर इतना तेज़ है
कि घबराई हुई माएँ निकल आती हैं घरों के पीछे
और डरी हुई रोकती हैं लड़कों को उसे मारने से
गूँगे की माँ नहीं है अभी कि उसे रोके
वह लपक कर छोटे कौए को हाथों में पकड़ लेता है
और आतंकित और उत्तेजित लड़कों और औरतों के बीच से
भाग जाता है लोहे के अपने दरवाज़े की तरफ़
लड़कों का झुण्ड उसके पीछे है
और कौए शोर करते हुए उसके साथ उड़ते हैं
गूँगे के हाथ की पकड़ भरपूर है
छोटे कौए ने पहले उसे आश्रय समझा होगा
किन्तु अब असहायता और आतंक की अन्तिम दशा में है
पाँच उँगलियों में कसा हुआ चुपचाप
गूँगे की आँखें देखती हैं कौए की आँख में
कौए का गरम जिस्म और घबराया हुआ दिल
धड़कता है उसकी गिरफ़्त में और जब भी
वह हिलता है तो गूँगा उसे मारता है सिर पर
झटके और वार के कारण कौए की चोंच खुलती है
जिसका अन्दरूनी रंग गूँगे के मसूढ़ों की तरह लाल है
नीचे मण्डराते हुए कौओं से बच कर
गूँगा छिपा हुआ है सूनी कोठी के गैराज में
छोटे कौए को हाथ में लिए हुए
उसे कुछ देर तक देख-देख कर मारता हुआ
या अपने तईं पुचकारता हुआ
और कौआ अब बहुत चुप है
यदि उसे दिमाग मिला होता
जो गूँगे से भी छीन लिया गया था दस बरस पहले
तो इस क्षण वह शायद सोचता
कि यह किसके किए की सज़ा कौन उसे दे रहा है
लड़के इकट्ठा हैं लोहे के दरवाज़े के पास
उड़ते हुए कौओं के मण्डराने और शोर में कुछ परेशानी है
गूँगे के हाथ में छोटे कौए ने
अब गर्दन डाल दी है
और वह उसकी आँख खोलने के लिए उसे हिलाता है
दौड़ कर दरवाज़े के पास चुप खड़े लड़कों के पास जाता है
जो अब उसके हाथ में बेहरकत पड़े हुए कौए को
लेना नहीं चाहते
और उसकी पीठ पर मार कर
दूर नाली में फेंक आने को कहते हैं
गूँगा जाता है अपनी मुट्ठी में सोए हुए-से
छोटे कौए पर सर झुकाए हुए
शोर करते हुए कौए उसकी परछाईं पर उड़ रहे हैं
लेकिन अब वह डर के परे हैं
नाली के पास पहुँच कर उसे फेंक देता है
घास उगे पानी में एक हलकी छप की आवाज़ होती है
गूँगा खड़ा देखता है
मुन्दी आँख बन्द चोंच और गीले होते हुए डैनों को
पार्क की ज़मीन पर कुछ दूर कौए बैठ गए हैं
उसके लौटने के इन्तज़ार में जब लड़के परेशान हो जाते हैं
तो क्या कर रहा है यह देखने पार्क में आते हैं
उसे नाली के पास वाली टूटी पुलिया पर
छोटा कौआ हाथ में लिए रोता हुआ पाते हैं ।