भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गृह मंत्रालय में चूहेदानी / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
हमें बुलाया गया सुरक्षा जांच के लिए
एक एक कर पहुंचे हम उनके सामने
शिकायतों से लैस
धर्म और आतंक के सताए
जलावतनी से बौखलाए
दीवार पर राष्ट्रपिता हँस रहे थे मूंछों के पीछे
शायद हम पर
गृह मानती हैं विराजमान
अंक रहे हमारी नब्ज़
दंग रह गया मैं
थी उनकी कुर्सी के नीचे
एक चूहेदानी
पहुँच गए हैं चूहे
यहाँ भी
बज रहे हैं गृहमंत्री के फोन
शायद चूहों के बारे में ही
पहुँच रही है सूचनाएं
जैसे वबा के संकेत
हममें से एक सदस्य ने
पढ़कर सुनाया उन्हें ज्ञापन
शायद यही था भेद
राष्ट्रपिता की हँसी का
सोच रहा हूँ
उनके देखते देखते क्या कुतरे जायेंगे हम यहाँ भी
फिलहाल बज रहे हैं
गृहमंत्रालय में फोन