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गेंद और बल्ला / सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
Kavita Kosh से
बंदर बोला अप्पू भैया
आओ खेलें गेंद और बल्ला।
भालू घोड़ा ऊंट भी बोले
हम खेलेंगे गेंद और बल्ला।
मिलकर सभी ने टीम बनाई
चले खेलने गेंद और बल्ला।
अप्पू ने जब बल्ला थामा
शुरू हुआ खेल गेंद और बल्ला।
बंदर की हर गेंद को पीटे
अप्पू भैया बोला गेंद और बल्ला।
चौके छक्के लगे बरसने
सबसे अच्छा गेंद और बल्ला
ऊंट और घोड़ा दौड़ कर हारे
खून दौड़ाता गेंद और बल्ला
लगी गेंद जब शेर को भैया
सब भागे छोड़, गेंद और बल्ला।
खुशियाँ हमको भर-भर देता
अपना प्यारा गेंद और बल्ला।