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गेलि घड़ी की आब बाली / कालीकान्त झा ‘बूच’

गेलि घड़ी की आब' बाली
कहियो युगल बाहु वर वंदन
छल मिलनक मादक अभिनन्दन
आइ मुदा सुधिये में आबथि
निर्मल नोर बहाब' बाली...

अनुखन छल रसराजक गायन
मनोमुग्धकारी वातायन
आब कत' ओ भेंटि सकै छथि
विलपित स्वर में गाब' बाली...

आबि गेली आब ई वामा
तन शोभादायिनी ललामा
कत' गेली प्रौढ़ वयसो में
छन-छन मन केँ भाव' बाली...

आब राति देरी कयला पर
बाबी छथि जागलि अयला पर
बिसरब कोना पटल पर अंकित-
क्रुद्ध नयन चमकाब' बाली...

तहिया छलहुँ सिनेहक भोगी
आइ बनल चिरविरहक योगी
छी सगरो हम ताकि रहल-
नहि भेंटथि गोहंछि लोभाब' बाली...