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गैरत / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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हम आप अपने आप से ही
शरमिंदा नहीं होते
दूसरों को करने की कोशिश में
लगे रहते हैं
हमारी गैरत का पानी
कब का सूख चुका
यह सब हम
कब का भूल चुके हैं
इतिहास की हमें चिंता नहीं
भविष्य से
क्या लें पायेंगे
वर्तमान की मस्ती में
ता-उम्र बितायेंगे
ये वे लोग हैं
जिनके शोक निराले हैं
बैंकों में अरबों
तिजोरियों में सोने की ईंटे हैं
मंत्री संतरी इनके मित्र हैं
और
ये
इत्ते विचित्र है
कि कौन सा गुनाह कब
कर
बैठे
अपने यहां का कानून
एक मारो या सौ
फांसी एक बार ही
मिलेगी
मगर कब ?