भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गैल्या / सुन्दर नौटियाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
मैं सुख मा बि दुखु मा बि तेरा हि, तेरा ही साथ छ गैल्या
उज्यळा मा अंधेरो मा बि तेरू छैलू, बण्यूं दिन रात छ गैल्या ।।

जु बस्युं जिकुड़ा यख ह्वी अपड़ू, जु जायुं दूर हु छ परायु -2
तु परायों सि बि अपणौती, निभै सकली निभै गैल्या ।।
मैं सुख मा बि दुखु मा ...........

यख देबों का दैंतों का, भूतों का, क्वी पैसों का छै पुजारी -2
मैं तेरी माया कु छै पुजारी, कभी तू बी जाणि ले गैल्या ।
मैं सुख मा बि दुखु मा ...........

कैका दुख मा क्वी हैंसणु छ, यही छ रीत दुनियां की -2
तु मीथैं सुक्खु कु दुक्खु कु सझेर बि बणै गैल्या ।।
मैं सुख मा बि दुखु मा ...........