गै आब नै परान मैया हमरा बचतै। / मैथिली लोकगीत
गै आब नै परान मैया हमरा बचतै।
गै सब देवता के पूजा बड़ हेतै
जखनी जे मरबै जेल के घरमे।
एते ही वार्त्ता दुर्गा सुनै छै
भागल दुर्गा गै जेलमे जुमलै
तखनी दादा नरूपिया देखैय
सरबर नीर दादा जेलमे ढ़ारैय
कहिया के दुश्मन गे दुर्गा
तोरा भेलीयै गै महिसौथामे
तेकरो हलतिया हमरा कहि दे
एतेक बात जे दुर्गा कहैय
धैरज बान्हि के जेलमे रहियौ
हमहुँ जाइ छीयै राज महिसौथा
मोतीराम के खबर जनेबै
बान्हबा खोलबा कऽ हम तोरा लऽ जेबौ हौ।।
ओतऽ से दुर्गा महिसौथा जाइ छै
मने मन दुर्गा रास्ता सोचै छै
सती मलीनियाँ रानी फुलवंती
महुरा बोनमे मलीनियाँ बैठल
बल सतवादी हौ मलीनियाँ लगैय
जाति दुसाध पर अँचरा बन्हलऽ
एमरी सत मलीनियाँ के जाँचि लेबै यौ।।
रास्ता दुर्गा महिसौथा के छोड़ै छै
महुरा बोन के रास्ता धेलकै
घड़ी के चलले पहर बीतैय
पले घड़ीमे महुरा बोनमे जुमैय
महुरा बोनमे सती मलीनियाँ
बाट जोहै छै सीरी सलहेस के।
महुरा बोनमे मलीनियाँ सुतल यौ।
तहि असरमे दुर्गा जुमि गेल
नजरि खिराऽ कऽ दुर्गा देखै छै
मालिक उपरमे नजरि पड़लै
अपना हाथ से दुर्गा जगबैय
कते नींन मलीनियाँ के भेलै
तबे जवाब दुर्गा कहैय यौ।।
सुनऽ सुनऽ हे मालिन सुनिलय
जय स्वामी ले अँचरा बन्हने
बाँन्हल अँचड़ा बन्हले रहि गेल
आगु गै मौका मलीनियाँ लगलौ
बड़े कहै छै तऽ स्वामी छियै
बान्हल स्वामी पकरिया गयलौ
गै चल चल मलीनियाँ गै राज पकरिया
स्वामी हकन जेल घरमे कनैय
आब परान दादा के बचतौ
बन्हवाँ खोला कऽ फुलवंती जखनी लऽ अन्हियै यै।