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गै जो जो दुर्गा मंदिर / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गै जो जो दुर्गा मंदिर
दुर्गा मैया के अरजी करिहै
ओएह बिअहबा तोरा हेतै
मैया दुर्गा के अरजी संझा करीहै गै।
हौ एत्तबे वचनियाँ संझज्ञवती सुनै छै
हा भागल जाइ दुर्गा मंदिर
सात बहिनियाँ देवी दुर्गा
जल-फूल संझा लइये
अक्षत चनन संझा लऽ लेलकै
हाथ के डलीया संझा लइये
लोटा पितरिया जल लै छै
दुर्गा मंदिरमे संझा गयलै
दीनानाथ के सुमिरन करैय
सवा हाथ धरतीमे बीतलै
हा जल-फूल दुर्गा के चढ़बै छै
रचि रचि के माता मनाबै
कहियो ने ब्याह सेाच बाबू करै छै
प्रेमचंडाल बाबू सूरजा भयलै
कतेक कुमार मैया हमहुँ रहबै
एमरी बेरी गै मंदिरमे मरबौ
तिरिया बध तोरा हम लगेबौ
हमरा बिअहबा देवी मैया तू करा दियौ गै।
हौ जल-फूल आइ संझा जे चढ़ौलकै
देवी दुर्गा के महिमा डोलि गेल
सातो बहिनियाँ देवी मानै छै
दया उबजि गेल दुर्गा जी के
तब जवाब दुर्गा जे दइये
सुनि सुनि ले बेटी जाके बैठि जो कोहबर घरमे
एमरी बिअहबा तोरा रचेबै
हम जाइ छी सतखोलियामे
एमरी बिअहबा तोरा हम करा देबै गै।।