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गोखड़ा ऊपर गोखड़ो, जां मेंदी को झाड़ / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गोखड़ा ऊपर गोखड़ो, जां मंेदी को झाड़
हो मेंदी म्हें बोई हो राज
छोटो देवर लाड़लो
वो मेंदी को रखवाल
हो मेंदी म्हें बोई हो राज
नानी नणदल लाड़ली
वां मेंदी चूंटन जाय
लसर-लसर मेंदी बाटूं
झबियां झोला खाय
देवर की राची चीटी आँग की
भावज रा दोई हाथ
मेंदी लगाया पाणी चली
सामे मिल्या नाय
हँस्या था, पण बोल्या नी
मन में राख्यो दाव
बेड़ो लाई परंडी मेल्यो
घर मे मची रार
धम धमा धम होणे लाग्यो
छोरो पाड़े चीख
छोरा की टूटी टांगड़ी
छोरी को कचड़घाण
पाड़-पड़ोसण बेनली, म्हारो छोरो छानो राख
मैं कई राखूं, बेनूली, घर-घर मची रार
म्हारी सासू ने यूं कयो, बऊ पोल में दीवो मेलजे
हूँ भोली ने यूँ सुण्यो, बऊ सोड़ में दीवो मेलजे
सोड़ बले, सासू बले, म्हारो हियो हिलोड़ा लेय
म्हारी सासू ने यूं कयो, बऊ भैस खे कुंडो मेलजे
हूँ भोली ने यूँ सुण्यो, बऊ जेठ खे कुंडो मेलजे
गोखड़ा ऊपर गोखड़ा, जेपे कालो नाग
खाई थी, पण बच गई, परण्या थारा भाग