भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोडसे अब भी याद है मुझे / नीलेश माथुर
Kavita Kosh से
					
										
					
					
इतिहास में 
बड़ा कमजोर हूँ मैं
हुमायूँ का बाप  
और शाहज़हान का बेटा 
याद नहीं मुझे,
मुझे तो याद है
बाबर की बर्बरता
और औरंगजेब की 
साम्प्रदायिकता,
कभी कभी 
याद आते हैं मुझे 
बहादुर शाह ज़फर
और उनके शेर,   
याद है मुझे 
वो झूठे सूरमा
जो अंग्रेजों और मुग़लों के
तलवे चाटते थे, 
याद है शहादत 
भगत और आज़ाद की
सुभाष भी अक्सर 
याद आते हैं मुझे,  
भूल चुका हूँ मैं
रक्त रंजित इतिहास,
लेकिन हाँ....
गोडसे अब भी 
याद है मुझे
जिसने एक युग का
अंत किया
सही या गलत 
मैं नहीं जानता..............
	
	