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गोदान कहा से लाये / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'
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कब जाने क्या मौसम आये ?
बंजर धरती अश्रु बहाये ।
रूठ गये हैं प्यारे बादल
कोई बादल राग सुनाये ।
दम्भ और अभिमान झुके
आखिर लौटे शीष झुकाये ।
कली कली है सफल हो उठी,
जब से श्री माधव घर आये ।
जीवन की रागिनी सज उठी,
तेरे दर्शन जब से पाये ।
तेरी छवि चन्द्रिका धवल ने
उर सागर में ज्वार जगाये ।
होरी तोड़ रहा दम, धनिया
अब गोदान कहाँ से लाये ?