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गोरबन्द / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
ओ सुरंगो आभो है क
इन्दर धनुस रै
सतरंगी साटण सूं
खारे समन्द री
बादळ कोड्या सूं
बीजळयां रै
चिमकणा काचां सूं
किरणळ फुन्दां सूं
लड़ालूम
गोरबन्द!