गोर गोर गोमती , गणगौर गीत / राजस्थानी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गणगौर राजस्थान का एक त्यौहार है जो चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को आता है | इस दिन कुवांरी लड़कियां एवं विवाहित महिलायें शिवजी ( इसर जी ) और पार्वती जी ( गौरी) की पूजा करती हैं | पूजा करते हुए दूब से पानी के छांटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं |

गोर गोर गोमती, इसर पूजे पार्वती
म्हे पूजा आला गिला, गोर का सोना का टिका
म्हारे है कंकू का टिका
टिका दे टमका दे ,राजा रानी बरत करे
करता करता आस आयो, मास आयो
छटो छ: मास आयो, खेरो खंडो लाडू लायो
लाडू ले बीरा ने दियो , बीरा ले भावज ने दियो
भावज ले गटकायगी, चुन्दडी ओढायगी
चुन्दडी म्हारी हरी भरी, शेर सोन्या जड़ी
शेर मोतिया जड़ी, ओल झोल गेहूं सात
गोर बसे फुला के पास, म्हे बसा बाणया क पास
कीड़ी कीड़ी लो, कीड़ी थारी जात है
जात है गुजरात है, गुजरात का बाणया खाटा खूटी ताणया
गिण मिण सोला, सात कचोला इसर गोरा
गेहूं ग्यारा, म्हारो भाई ऐमल्यो खेमल्यो, लाडू ल्यो , पेडा ल्यो
जोड़ जवार ल्यो, हरी हरी दुब ल्यो, गोर माता पूज ल्यो

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