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गौं गौं पंचायत करा, अर सुधारा पाणी जी / गढ़वाली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गौं गौं पंचायत करा, अर सुधारा पाणी जी,
सुख से उठली-बठली, राणी-बौराणी जी।
न करा मुकदमा भायों, करा आपस मा मेल जी,
कोर्ट माँ पड्यां रला, बेचला लोण-तेल जी।
अच्छो काम करा भायों, नी खेलणू जुवा जी,
गली-गल्यों पड्यां रला, बोलला बोई बुबा जी।
पंचू मा जैक बोला, घूस जरा नी खाणी जी,
सही-सही निसाब कर्णू, बाल-बच्चों जाणी जी।
अपणी छ खेती, अपणू छ राज जी,
मेल से रणो भाई, आजाद आज जी।
डाली बोटी लगावा, वणा बग्वान जी,
जागू जागू मोटर पौंछा, देवा श्रमदान जी।

शब्दार्थ
<references/>