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गौरा का जिलाना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा
Kavita Kosh से
होरे आये तो जुमली पांचो बहिन बिषहरी हे।
होरे बोले तो लागल रे दैबा ईश्वर महादेव हे॥
होर बड़ा कष्ट आवेगे देवी दरशन देले हे।
होरे देहो न जियाने हे बिषहरी गौरा पारवती हे॥
होरे झारे ते लगली हे माता देवी बिषहरी हे।
होरे झारे ते लगली हे माता दोतिला कुमारी हे॥
होरे झारी झुरी बिहोगे माता कैलके तैयारी हे।
होरे अमृत छिंटिय हे माता गौरी के जिलवली हे।
होरे एककाले छेले हो गौरा सहस्त्रकाले उठती हे॥
होरे काँच निन्द जगावल गौरा मोरा भोला महादेव हे।
होरे इतना सुनिये हे महादेव खुश भेल हे।
होरे माँगहु-माँगहु हे बिषहरी देवी वरदान हे॥
होरे सत जो करब हो बाबा मांगो महादान हे।
होरे सतना करबे हो बाबा मांगौ नहीं दान हे॥