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गौरा का डंस / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे क्रोध मन भेल रे दैवा मैंना बिषहरी हे माया॥
होरे पांचोतो बहिनी हे माता कैल विसराम हे माया।
होरे आवै तो डसियायेहे बहिनी गौरा पारवती हे माया॥
होरे गौरा केरबारी रे छलै पटुआ के गाछ हे माया।
होरे निज संग खात हे गौरा पटुआ ना खाइले हे माया॥
होरे जीभ में डंसले दैवा सुतौ आसो नाग हे माया।
होरे डंसले से आबेरे नाग मुरछी गिरली हे माया॥
होरे आपन से मठ हे गौरा ते जले परान हे माया।
होरे अब तो ध्यान टूटे ईश्वर महादेव हे माया॥
होरे चललसे जाने हे महादेव गौरी के पास हे माया।
होरे एक साट मारे महादेव दुइसाट मारे हे माया॥
होरे तैयो नाहीं जागेरे दैवा गौरा पारवती हे माया।
होरे धरती देखलहे महादेव फूली छिरि आयल हे माया॥

होरे बिषहरी डंसलये देवा गौरा पारवती हे माया।
होरे हुंकार लागल हे महादेव देवी बिषहरी हे माया॥
होरे दौरल जे गेला महादेव मंत्री केर पास रे माया।
होरे केशीनाम मन्त्रो जे छेलै झारखण्ड गेल रे माया॥
होरे झारी भरी जललिये मंत्री चलो वरुभेल रे माया।
होरे आये तो जुमलेरे मन्त्री गौरा केर पास रे माया॥
होरे बोले ते लागलरे दैवा भोला महादेव हे माया।
होरे छोड़हुसे बंस हे मंत्री नालजे तोहार हे माया॥
होरे एकटोना कैले हेमाताझरी जब सुखल हे माया।
होरे हारल जवाब रे दैवा केशोनाम मन्त्री रे माया॥