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गौरी के वर देखि बड़ दुःख / विद्यापति
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गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल, सखी बड़ दुःख भेल.
मन के मनोरथ मने रहि गेल,
लैलो भिखारी पर सेहो बकलेल !
भोला के कतहुं जगत नाहीं साँक लेल,
बरके जे देखि गायनि धुरि गेल!!
हमर गौरी नहिं छथि बकलेल,
तिनका एहन बर कोना आनि गेल !
भनहिं विद्यापति बड़ दिन भेल,
गौरी मंगन शिव आनन्द भेल !!