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ग्यारा साल हुऐ अंजना तै फेटण नै जी करग्या / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों चकवा चकवी की वार्ता सुनकर पवन का हृदय तड़प उठता है और क्या कहता है-

चकवा चकवी सुणें बोलते ध्यान भूप का फिरग्या
ग्यारा साल हुऐ अंजना तै फेटण नै जी करग्या।टेक

आधी रात बिरह की चर्चा मेरे गात नै फूकै
चकवे बिना चकवी सुन्नी न्यूं अंजना का दिल दूखै
काची कली बिना माली के खड़ी बाग मैं सूकै
धोला बाणा बांस हाथ मैं खड़ी महल पै कूकै
वा मरणें तै ना बिल्कुल चूकै जै अंजना का मन भरग्या।

बारा साल होए कर री होगी उड़ै रुधन अंजना
मैली साड़ी मैं मलमल कैसी ढकरी होगी तन अंजना
बार त्यौहार नार के पति पै बिन साजन के वा अंजना
इन कागां मैं तंग हो ज्यागी एकली मेरे बिन वा अंजना
गिण गिण काटै दिन अंजना आज मैं पापी निस्तरग्या।

सती बीर नै मर्द त्याग दे या गलती सरा सरी सै
स्याणे माणस न्यूं कहेंगे देखो नै कोड करी सै
अंजना का ना दोष रत्ती भर सारी ए खता मेरी सै
धर्मराज कै चलै मुकदमा तै अंजना हूर बरी सै
मेरी भूल के कारण मंत्री मेरा लाल रेत मैं रलग्या।

आवै याद मेरे अंजना की हुई मुश्किल झाल थामणी
मामूली सी बात कै उपर करदी काल कामणी
भर्ती होण तै पहलम उसनै पहरे सूट जामणी
दो आडां का फेर धरया और कट्ठी करी लामणी
रो रो कै कहरी जाटणी कित जाट मेहर सिंह मरग्या।