भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग्रह नक्षत्र तारे सब गोल / नीरजा हेमेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चन्दा गोल, धरती गोल, ग्रह, नक्षत्र, तारे सब गोल
मैंने पढ़ा भूगोल में

ना घूमें सूरज दादा, ना चलते तारे टिम-टिम
अपनी धुरी पर हरदम घूमें, धरती जो है गोल
मैंने पढ़ा भूगोल में

न निकले सूरज कहीं से, और न डूबे कहीं पर
सुबह जहाँ थे सूरज दादा, अब भी हैं वहीं पर
उनके चक्कर लगा रहे हैं ग्रह, नक्षत्र सब गोल
मैंने पढ़ा भूगोल में

हम पहुँचे चन्दा मामा पर, सेटेलाइट और राकेट से
जान गये हैं गूढ़ रहस्य सब, कहता है भूगोल
मैंने पढ़ा भूगोल में