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ग्राम्य लीक /राम शरण शर्मा 'मुंशी'
Kavita Kosh से
इक्के-दुक्के पेड़
टूटी हुई मेड़
दूर एक कुआँ
छप्पर पर धुआँ
खेत बिना खाद
भोजन निःस्वाद
राम नाम सत्य
असफल सब कृत्य
कीचड़ सनी नाली
बदबूदार ग़ाली
शिवालय स्थान
अधिक जहाँ श्वान
घूँघट की ओट
बड़ी गहरी चोट
धूल धूल धूल
बिना गन्ध फूल
एक ग्राम्य लीक —
जीवन का प्रतीक !