ग्रीष्म / ऋतुराग / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
1.
आग छै आग
सगरोॅ सरंग में
ई ग्रीष्म छेकै।
2.
ग्रीष्म के दिन
रुद्र प्रलय नांकी
रात छै शिव।
3.
किरण वाण
आगिन के तनलोॅ
देह झुलसै।
4.
मंद प्रखर
प्रलय रूप लेनें
आबै छै ग्रीष्म।
5.
धरती तावा
ताप-तृष्णा आकुल
जीव सृष्टि के।
6.
पंथी विरमै
पक्षी खोजै छै छाया
ग्रीष्म के माया।
7.
प्रचंड ताप
लू सें हाँफै बैशाख
उड़ै छै भाँप।
8.
चुअेॅ छै घाम
छर-छर पसीना
जेठ महीना।
9.
पीतें नै मिटै
घोर प्यास पापिनी
हवा डाकिनी।
10.
बिजली पंखा
सब होलै बेकार
छै ग्रीष्म राड़।
11.
ग्रीष्म ताप सें
परेशान छै प्राणी
माँगै छै पानी।
12.
जेठोॅ के तॉव
होॅ-होॅ पछिया बॉव
मिलै नै ठॉव।
13.
बैशाखोॅ के लू
छाया खोजै छै छाया
प्रभु के माया।
14.
सुखलै नदी
बेकल मृग-मीन
आशा छै क्षीण।
15.
जवान जेठ
बिन्डौवोॅ सें भरलोॅ
आँधीये आँधी।
16.
उड़ै छै धूल
खाली धरा दुकूल
मिलै नै फूल।
17.
निडर ग्रीष्म
लू बनी केॅ भटकै
साँसोॅ अटकै।
18.
ग्रीष्म छीनै छै
क्रिया-कर्म उद्वेग
कामोॅ के वेग।
19.
ग्रीष्म के रात
भोर आरो प्रभात
सुहानोॅ लागै।
20.
अंग जरावै
लूओॅ के लहर छै
दुपहर छै।
21.
हे ग्रीष्म तोंय
छेकोॅ वर्षा जननी
मारोॅ नै तानी।
22.
नीमोॅ के छाँह
पानी भरलोॅ कुँआ
खोजै बटोही।
23.
ग्रीष्म चाँदनी
घामें घमजोर छै
हवा चोर छै।
24.
दुबड़ी जरी
होय गेलोॅ छै खाक
आग बैशाख।
25.
जेठोॅ के ताप
जेनां उसना रोॅ भांप
हफसै साँप।
26.
थर्थर काँपै
आगिन देखी आग
जेठोॅ के भाग।
27.
जेठोॅ के भोग
लागलोॅ प्रेम रोग
प्रिया वियोग।
28.
हमरोॅ रूप
पिया लागै अनूप
तै पेॅ ई धूप।
29.
चुभै छै सूई
पिया चुभै छै पिन
जेठोॅ के दिन।
30.
जेठें खोजै
अपनां सें बरियों
कुश्ती लड़ियों।
31.
लप-लप जी
मुँह बैनें बैशाख
हाँफै-दौड़ै छै।
32.
जेठ भटकै
कोय नै छै आपनोॅ
क्रुद्ध झटकै।
33.
पछुआ बॉव
वन-वन भटकै छै
प्रिया खोजै छै।
34.
जेठें बोलाबै
हल जोतोॅ किसान
बनोॅ महान।
35.
लड़ोॅ लू सें
खाय केॅ सत्तू-साग
गा ग्रीष्म राग।