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ग्रैण्ड इन् में / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
मैंने अपनी आँखों को नए गाँव दिखाए
मैंने इन सबका आनन्द लिया
मैंने इस पृथ्वी को बेहतर ढंग से समझा
और खुद को हर तरफ पाया
मानो इसे अपने ही हाथों से बनाया है
मैंने बारिश से उसका नाम पूछा
उसने कहा छपछप
मैं सोई, अन्धकार गिरा मुझ पर
पानी की तरह
ग्रैण्ड इन् में
मैंने तुम्हे माँगा ।