भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घंटियों की आवाज़ से घायल / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घण्टियों की आवाज़ से घायल

कराहता,

आह भरता

धृष्ट अंधकार

बेघरबार

नापता डगों से वार-पार

ठहर गया है

संसार के ऊपर

(जैसे शोक का अशुभ समाचार)