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घटाओ प्राण मत तन से / अनुराधा पाण्डेय
Kavita Kosh से
घटाओ प्राण मत तन से, बचेगा सार क्या प्रियतम!
नयन बिन रौशनी जैसे, प्रकट संसार क्या प्रियतम!
भँवर में छोड़ बैठूंगी, विकल ये नाव जीवन की
जहाँ तुम हो नहीं फिर धार क्या मझधार क्या प्रियतम!