मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घड़ी चलै छै पहर पेर बीतै छै
लागल सभा सलहेस के छेलै
मंशी मनेजर मंशी दारोगा
कर-कोतवाल ड्योढ़ीमे बैठल
टेंटीआ-फेंटिया मंगल किरतिया
गिरवीर-सिरवीर बोलै पहड़िया
तीन सय साठि तिरहुतिया बैठल
केवल किराती मंगल महोतिया
ड्योढ़ीमे बैठल सुग्गा हीरामनि
गन-गन सभुआ आय देवता के करै छै यौ।।
तहि असरमे दुर्गा जुमि गेल
अलख नजरिया पड़ि गेल
कुर्सी दादा हौ नरूपिया छोड़ि देल
मैया दुर्गा बैठका देलकै
झूकि प्रणाम ड्योढ़िया केलकै।