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घड़ी / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
टिक-टिक-टिक-टिक सुइया बोलै
जे रं कि बिछतुइया बोलै
जे रं कि दिल धड़कै धड़-धड़
चिड़ियाँ के दू पखना फड़-फड़
डाल घड़ी पर धुरदा-धूल
नै तेॅ लै जैतौ इस्कूल।