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घणी अमोलक है / इरशाद अज़ीज़
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					वाह, थारी मुळक 
जे थूं अेकर फेरूं मुळक देवै 
तो म्हैं संसार रा सगळा 
माणक-मोती 
थारै ऊपर वार दूं 
मुळक!
अेकर तो मुळक 
जीसा कैयो हो कै 
बरसां पैलां 
थारो मुळकणो
सूखतै खेतां नै हर्या 
अर दम तोड़तै मिनखां-डांगरां नैं 
जीवण रो वरदान दियो हो 
देख टाबरां री टोळी 
बीं री आंख्यां मांय 
थारा ईज सुपना है 
इणां रा खिलता उणियारा
कठैई कुमळाय नीं जावै!
 
	
	

