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घनश्याम कन्हैया तो दुनियाँ से निराला है / रंजना वर्मा
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घनश्याम कन्हैया तो, दुनियाँ से निराला है
क्या बात करूं उस की, वो बाँसुरी वाला है
जन्मा था जो मथुरा में, गोकुल में चला आया
वसुदेव ने जब छोड़ा, तब नँद ने पाला है
फोड़ी है कभी मटकी, माखन भी चुराया है
मन मोह लिया जिसने, वृषभानु की बाला है
असुरों को सँहारा था, भक्तों को उबारा था
जब भीर पड़ी जग पर, दुनियाँ को संभाला है
कौरव की सभा मे जब, द्रुपदा ने पुकारा था
तब चीर बढ़ा उस की, पत राखने वाला है
है पाप घना छाया, घनघोर अँधेरा है
इस श्याम रजनि में बस, इक तू ही उजाला है
जब श्याम सघन घन की, छाया ने डराया तो
तू प्रेम- सुधा - कण का, अधरों पे पियाला है