घनसार पटीर मिलै नीर चहै, तन लावै न लावै चहै.
न बुझे बिरहागिन झार झरी हू, चहै सुन लागे न लावै चहै.
हम टेरि सुनावतिं बेनी प्रवीन चहै, मन लावै न लावै चहै.
अब आवै विदेस तें पीतं गेह चहै, धन लावै न लावे चहै.
घनसार पटीर मिलै नीर चहै, तन लावै न लावै चहै.
न बुझे बिरहागिन झार झरी हू, चहै सुन लागे न लावै चहै.
हम टेरि सुनावतिं बेनी प्रवीन चहै, मन लावै न लावै चहै.
अब आवै विदेस तें पीतं गेह चहै, धन लावै न लावे चहै.