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घना घना जो अँधेरा दिखायी देता है / सिया सचदेव

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घना घना जो अँधेरा दिखायी देता है
बहुत उदास उजाला दिखाई देता है

इसे करीब से देखो तो घिन न आ जाए
जो आदमी तुम्हे अच्छा दिखायी देता है

घने अंधेरों की चादर को चीर कर देखो
चराग़ सबको अकेला दिखाई देता है

उसे किसी से भी कुछ चाहिए नहीं शायद
हर आदमी जिसे अपना दिखायी देता है

चिता में राख धुवाँ आग की लपट और मैं
उन्हें तो ये भी तमाशा दिखाई देता है

जो देखता है सभी को सिया बुलंदी से
हर आदमी उसे छोटा दिखाई देता है