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घनी अँधेरी रात हमारे गाँवों में / महेश कटारे सुगम

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घनी अँधेरी रात हमारे गाँवों में ।
कीचड़ औ बरसात हमारे गाँवों में ।।

राजनीति की काली-काली करतूतें,
मचा रहीं उत्पात हमारे गाँवों में ।

गली-गली में सत्ता है षड्यन्त्रों की
घायल हैं जज्बात हमारे गाँवों में ।

सत्य अहिंसा दीन धर्म ईमानों की,
रोज़ हो रही मात हमारे गाँवों में ।

मरहम के बदले में ताज़े ज़ख्मों की,
रोज़ मिले सौगात हमारे गाँवों में ।

19-01-2015