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घनी घनेरी रात में डरने वाला मैं / मनचंदा बानी
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घनी घनेरी रात में डरने वाला मैं
सन्नाटे की तरह बिखरने वाला मैं
जाने कौन उस पार बुलाता है मुझ को
चढ़ी नदी के बीच उतरने वाला मैं
रुसवाई तो रुसवाई मंज़ूर मुझे
डरे डरे से पाँव न धरने वाला मैं
मेरे लिए क्या चीज़ है तुझ से बढ़ कर यार
साथ ही जीने साथ ही मरने वाला मैं
सब कुछ कह के तोड़ लिया है नाता क्या
मैं क्या बोलूँ बात न करने वाला मैं
तरह तरह के वरक़ बनाने वाला तू
तेरी ख़ुशी के रंग ही भरने वाला मैं
दाइम अबदी वक़्त गुज़रने वाला तू
मंज़र साया देख ठहरने वाला मैं