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घमर / कुमार कृष्ण
Kavita Kosh से
पूरी ताकत के साथ बजाता रहा वह नगाड़ा
अपने आँगन में
एक-एक करके जमा होते गये लोग
बच्चे-बूढ़े, आदमी-औरतें
पूरा आँगन भर जाने पर
उसने अपने-आप से कहा-
अभी शेष है मेरे नगाड़े की ताकत
नहीं भूला पूरा गाँव
आवाज़ की भाषा।