भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घमेनी कविता / अरुणाभ सौरभ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिखू हमर कवि
कोनो एहन कविता
जन जन केर पीड़ा केँ पीबैत
समानताक उमेद मे
नबका संसार बनेबाक लेल
लोक जीवनक लोकगीत

थाकल हेरायल जिनगीक लेल
मनुक्खक मोल स्थापित करबाक लेल
पूर्वाग्रह सँ फराक

लिखू हमर कवि
श्रम केर घाम सँ घमजोर
रीति, नीति सँ ऊपर
कोनो घमेनी कविता !!