लिखू हमर कवि
कोनो एहन कविता
जन जन केर पीड़ा केँ पीबैत
समानताक उमेद मे
नबका संसार बनेबाक लेल
लोक जीवनक लोकगीत
थाकल हेरायल जिनगीक लेल
मनुक्खक मोल स्थापित करबाक लेल
पूर्वाग्रह सँ फराक
लिखू हमर कवि
श्रम केर घाम सँ घमजोर
रीति, नीति सँ ऊपर
कोनो घमेनी कविता !!