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घर-आँगन संसार हुआ है भैया जी / कैलाश झा 'किंकर'
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घर-आँगन संसार हुआ है भैया जी
सचमुच घर से प्यार हुआ है भैया जी।
बन्द किया कोरोना ने घर में सबको
प्यारा अब परिवार हुआ है भैया जी।
वक़्त मिला तो बच्चों की किलकारी से
गुल गुलशन गुलजार हुआ है भैया जी।
खाते, सोते, पढ़ते, लिखते दिन बीते
घर ही कारागार हुआ है भैया जी।
आते हैं सब दोस्त-यार अब सपनों में
ख़वाबों का विस्तार हुआ है भैया जी।
दो महिने से दहशत में दुनिया सारी
जीवन ही अख़बार हुआ है भैया जी।