घर-परिवार / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
पत्नी - सखी सहचरी सचिव शुचि रति रुचि, गृह परिबंध
भुक्ति मुक्ति एकांत विहित अर्धांगिनि अनुबध।।45।।
माय - मायहि सँ ममता उपज बहय सिनेह क सोत
सर्ग स्वर्ग अपवर्ग सुख जनिकहि कोर इजोत।।46।।
बहिनि - सामा सतभामा पुरी भद्रा भाइक ब्योंत
नीतथि यम यमुना परब बहिनि सिनेह क सोत।।47।।
कन्या - घर - परिसर चुह-चुह करय चंचल सहज सुभाव
पिता धन्य! कन्या कुलक दीप - शिखा जे पाव।।48।।
कुलवधू - मंद हँसब बाजव चलब अँगनहु अँग पट झाँपि
लजवंती छविमति धनि दृगहृ पड़य तन काँपि।।49।।
पितामही (बाबी) - मुख अंकित रेखा गणित बीज गणित उर नेह
कंपन अंकन अंग कत बाबाी गणित सिनेह।।50।।
मातामही (नानी) - माय क् ममता दीप मे जकरे देल सिनेह
बाती प्राण क बाँटि जे नानी नेह सदेह।।51।।
पीसी (दीदी) - एक पिठिया बाबुक बहिनि नैहर नेह हकारि
जे सनेस पठबथि सदति जायब दीदि क द्वारि।।52।।
मौसी - लाड - दुलारो माय केर फटकारो कत जोर
मौसी बौंसथि झगड़ि हुनि पुनि बैसा’ निज कोर।।53।।