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घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अँखियन की / शैलेन्द्र
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घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अँखियन की
घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अँखियन की..
तू मेरे मन का मोती हैं, इन नैनन की ज्योती हैं
याद हैं मेरे बचपन की, घर आया मेरा परदेसी..
अब दिल तोड़ के मत जाना, रोती छोड़ के मत जाना
कसम तुझे मेरे असुअन की, घर आया मेरा परदेसी