भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर की जीनत / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


बेटियां
शुरु से मां-बाप की
सगी होती है
और
बेटे
बहू की जुल्फों के गुलाम
जिसके आते ही वे हिलाने
लगते हैं दुम
उन्हें मां-बाप का
आशीर्वाद भी
डंक लगता है
और पत्नी का प्यार
अद्वितीय, अद्भूत
परिलोक की प्रमुख परी का
प्रसाद !
धन्य हैं वे मां-बाप
जिनके घर जन्मीं बेटियां