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घर दुकान बंद है / ऋषभ देव शर्मा
Kavita Kosh से
घर-दुकान बंद है
खानदान बंद है
नारे खुद बोलते
हर ज़ुबान बंद है
घंटे क्यों मौन हैं
क्यों अज़ान बंद है
कुर्तों की जेब में
संविधान बंद है
कुर्सी-संकेत पर
नव विहान बंद है
कीर्तिगान हो रहे
राष्ट्रगान बंद है
सिक्कों की जेल में
क्या जवान बंद है ?
फूटो ज्वालामुखी!
कि दिनमान बंद है