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घर पहुँचने की बेकरारी / पीटर पाउलसेन / अनिल जनविजय

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घर पहुँचने के लिए उड़ान भरने को तैयार पेड़ों को
तूफ़ान
सब्र करने के लिए मजबूर करता है।

देखो, कितना तड़प रहे हैं वे
अपनी डालें-डगालें हिला रहे हैं
अपने घर
अपने ब्रह्माण्ड में
पहुँचने के लिए बेचैन हैं वे !

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
              Петера Поульсена  
                  Тоска по дому 

Буря треплет
готовые
к полету деревья. 

Смотри, как они порывисто 
машут ветками.
Им не терпится
домой, 
во вселенную.