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घर पहुँचने की बेकरारी / पीटर पाउलसेन / फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ / अनिल जनविजय

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घर पहुँचने के लिए
उड़ान भरने को तैयार पेड़ों को
तूफ़ान
सब्र करने के लिए मजबूर करता है ।

देखो,
कितना तड़प रहे हैं वे
अपनी डालें-डगालें हिला रहे हैं ।

अपने घर
अपने ब्रह्माण्ड में
पहुँचने के लिए
बेचैन हैं वे !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय