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घर में घुस कर डपट गयी थी / हरि फ़ैज़ाबादी

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घर में घुस कर डपट गयी थी
मौत शान से निपट गयी थी

बेचारी लुट गयी वहाँ भी
जहाँ लिखाने रपट गयी थी

मुझको मैली कर दो कहने
गंगा किसके निकट गयी थी

कुंभ नहाकर पुण्य कमाने
बड़ी भीड़ बेटिकट गयी थी

होनी ही थी भंग तपस्या
नागिन मुनि से लिपट गयी थी

सारे दिन की मेहनत शब में
फिर चूल्हे में सिमट गयी थी