भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 16 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
म्हारी छात पर
घास खड़यो है
बेल पसरी है
चौमासै-चौमासै
खेत-खेत खेलै
म्हारी छात।