टपकती छात तळै
बर्तणां रौ संगीत
कूंट मांय दुबक‘र
सारी रात एकली सुण्यौ
म्हारा मीत
अब तो आज्या परदेस सूं
चौमासौं नीं कटै।
टपकती छात तळै
बर्तणां रौ संगीत
कूंट मांय दुबक‘र
सारी रात एकली सुण्यौ
म्हारा मीत
अब तो आज्या परदेस सूं
चौमासौं नीं कटै।