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घर में रमती कवितावां 26 / रामस्वरूप किसान

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आंगणौ बोल्यौ
छात नै-
आपणी बिरादरी में
लुगाई ऊंची है

छात बोली-
लुगाई ऊंची हुवै
भावूं निची-
फोड़ौ है

दीखे कोनी म्हारै
सिर पर बटोड़ौ है।