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घर में रमती कवितावां 32 / रामस्वरूप किसान

पक्कै घर रो अरथ हुवै
मुक्कमल घर
जकौ घर
सगळै आयामां नै पूरै

ईंट-सिमट अर लोह रौ जक्कड़
कदे ई नीं हो सकै
पक्कौ घर।