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घर में रमती कवितावां 3 / रामस्वरूप किसान

भूखौ आदमी
छात कानी देखै

रोटी री उडीक में-
कड़ी गिणै
बरंगा गिणै
टेम टिपावै

छात उण री
भूख नै बिलमावै।