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घर लौट रहे बच्चे / सुरेश ऋतुपर्ण

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स्कूल जा रहे हैं बच्चे !
पोथियों की लादी लादे
आँखों में नींद झपझपाते
देर रात
चुपके-चुपके देखी
फ़िल्म की बातें
बतियाते जा रहे हैं बच्चे !

रिक्शों में लदे-फदे
ढेर बस्ते लटकाए
बस में लड़ते-झगड़ते
ऊँघते-गाते जा रहे हैं बच्चे !

बज न जाए पहली घंटी
फटे जूतों की खैर मनाते
डर से भागे जा रहे हैं बच्चे !

प्रार्थना में प्रभु से
विद्या की भीख माँग
'क्लास रूमों' की ओर
दौड़ रहे हैं बच्चे !

टाट-पट्टी बिछाते
डेस्कों पर धमा-चौकड़ी करते
ब्लैकबोर्ड पर कार्टून बना
मास्साब की गैर हाज़िरी में
शोर मचा रहे हैं बच्चे !

छीना-झपटी में
अरे-अरे फटी किताब
धक्का-मुक्की में
देखो-देखो गिरी दवात
कॉपी के पन्ने
फाड़-फाड़
काग़ज़ की नाव
बना रहे हैं बच्चे !

भारत देश महान की इमला लिखाते
'टीचर जी' को आया ध्यान
ओ गनेशी के छोरे
कब लाएगा 'टूशन' के पैसे
नालायक ! कैसे होगा पास ?
साल-दर-साल
फेल होने के लिए
तैयार हो रहें हैं बच्चे !

स्कूल में भ्रष्टाचार का
पहला पाठ पढ़
घर लौट रहे हैं बच्चे !