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घर से कुछ तो साथ आना रह गया / पूजा श्रीवास्तव
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घर से कुछ तो साथ आना रह गया
याद आया मुस्कुराना रह गया
बाद तेरे जाने के याद आता है
कुछ ज़रूरी था बताना रह गया
वो मेरे अह्वाले जां पर हँस दिए
और क्या बाकी दिखाना रह गया
जश्ने आज़ादी में डूबे इस कदर
कैद से पंछी उड़ाना रह गया
राहते जां आके मुझमें साँस ले
तेरा जाकर लौट आना रह गया
पहले जो होता था तेरे प्यार में
अब कहाँ मौसम सुहाना रह गया